जयगुरुदेव आश्रम पेंडरी दुर्ग से जयगुरुदेव जीव जागरण धर्म यात्रा हुआ उज्जैन के लिए रवाना…

अशोक सारथी, आपकी आवाज न्यूज धौंराभांठा:- छत्तीसगढ़ प्रदेश के दुर्ग जिले के अंतर्गत ग्राम पेंडरी में स्थित जयगुरुदेव आश्रम से लगभग 11बजे जयगुरुदेव जीव जागरण धर्म यात्रा हुआ उज्जैन के लिए रवाना। म.प्र. के तीर्थराज महाकाल की नगरी उज्जैन पिंगलेश्वर रेलवे स्टेशन के नजदीक में बाबा जयगुरुदेव आश्रम बना हुआ है। इस वक्त के संत महापुरुष दु:खहर्ता संत बाबा उमाकान्त जी महाराज पूरे पहूंचे हुए संत हैं, इनकी दिव्यदृष्टी खुला हुआ है। बाबा जी आगे आने वाले खराब समय से जीवों को बचाने के लिए अपने प्रेमीयों के माध्यम से पूरे देश के साथ विदेशों में भी जीव जागरण धर्म यात्रा काफिला निकाल कर संदेश दे रहे हैं-

 

हांथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी,।

छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी,

सतयुग लानेकी करो तैयारी शाकाह।।

ईमानदार बनो नेक कहलाओ, प्रभु भक्त बन काम बनाओ,गुरु भक्ति कर पूज्य बन जाओ, मानव जीवन सफल बनाओ।।

इस प्रकार से संदेश देकर लोगों को आगे की समय के लिए आगाह कर रहे हैं।

 

इस काफिले में छत्तीसगढ़ प्रदेश के कई जिले से जयगुरुदेव प्रेमी अपने-अपने जिलों से ईकट्ठा होकर चार पहिया वाहनों में जयगुरुदेव प्रचार की फ्लेक्स बेनर सजाकर 18मार्च को पेंडरी आश्रम पहुंचे, एक साथ शाम नामध्वनी, प्रार्थना, ध्यान भजन किए।

 

 

19मार्च की सुबह 11बजे पेंडरी आश्रम से जीव जागरण धर्म यात्रा रवाना किया गया। काफिले में 19-20 चार पहिया वाहन शामिल हुए हैं। आगे और प्रचार वाहन जूड़ने की संभावना है। बाबा उमाकांत जी के आदेशानुसार यह जीव जागरण धर्म यात्रा का दूसरा चरण है, जिसकी समापन जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन पर 21मार्च होना सुनिश्चित किया गया है। इस कार्यक्रम में देश के लगभग सभी प्रांतों में से जयगुरुदेव प्रेमी जीव जागरण धर्म यात्रा में शामिल होकर उज्जैन आश्रम पहुंचेंगे। 23 मार्च को विश्व विख्यात परम् संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के मुक्ति दिवस के रूप में पूरे भारत वर्ष में पर्व मनाया जाता है, इस दिन सभी जयगुरुदेव प्रेमी अपने-अपने घरों में जयगुरुदेव नाम की झंडा फहराते हैं।

बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन पर 25 मार्च को विशाल होली पर्व मानाया जावेगा। वक्त के पूरे संत बाबा उमाकांत जी महाराज द्वारा ईश्वर प्राप्ति यानी परमात्मा से मिलने का भेद, नामदान खुले मंच से देते हैं। जिसको लेने, सुनने, दर्शन करने के लिए देश ही नहीं अपितु विदशों से भी गुरू भक्त आते हैं। संत कहते हैं- *हम आये वही देश से जहां तुम्हारौ धाम, तुमको घर पहुंचावना एक हमारो काम।।*

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